Breaking News

धर्म

ब्रह्मांड का भी धर्म है और मानव का भी धर्म है, जिसका स्वरुप और गुण समान ही हैं, केवल धर्म की स्थिति भिन्न है। किसी भी अवस्थिति में यदि धर्म में विचलन होगा तो उसका प्रभाव अव्यवस्था और संकट का जन्म ही है अन्यथा धर्म का स्थायित्व एवम सर्वव्यापकता तो चिरकाल से है और सदा रहेगी।
मानव विशेष का अध्ययन प्रमाणित करता है कि शरीर का प्रत्येक अंग अपने धर्मानुरूप तन और मन का किसी भी अवरोध के बिना सदा रक्षक है तभी उस मानव का अस्तित्व स्वस्थ है अन्यथा वह भी अस्वस्थ हो जाता है, उसे भी स्थायित्व स्वस्थ होने के बाद ही प्राप्त होता है। प्राणियों और जगत की नश्वरता के विषय में हम सब जानते हैं किंतु धर्म नश्वर नहीं है, वही सत्य है, वही शक्ति है और वही शिव है।

 

 

” धर्मो रक्षति रक्षतः ” की व्याख्या में अनेक विद्वानों और मनीषियों द्वारा समय समय पर सदा समाज को
समझाया गया है, यही सूत्र सृष्टि और समाज की प्रगति और उत्थान का उपाय है। कोई भी नीति, शास्त्र, कला और विज्ञान धर्म से ही परिपक्व हो कर स्थायित्व प्रदान करता है।
आज सबसे चर्चित मुद्दा देश या विदेश की राजनीति है, इस क्षेत्र को भी आतंकी और स्वार्थी तत्व धर्म से प्रथक करना चाहते हैं, जो प्रत्येक क्षेत्र समाज, कला, विज्ञान, सामाजिक, आर्थिक, देश, विदेश, सांस्कृतिक विकास और कल्याण के लिए घातक और अहितकर होगा। मानव कभी भी धर्म से प्रथक नहीं किया जा सकता और न ही धर्म के बिना मानव और विश्व का अस्तित्व बचेगा।
धर्म सर्वोपरि, अखंड, अक्षर और शाश्वत है।

About Pmbnews-Editor

Check Also

शिवजी की पूजा का महत्व, अच्छा क्या चढ़ाने से क्या मिलता है फल

पीएमबी अध्यात्म । अधिकमास का कृष्ण पक्ष 2 अगस्त 2023 से शुरू हो रहा है. …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *