
PMB लखनऊ। उत्तर प्रदेश के डीजीपी अपने पुलिस कर्मियों को समय हमेशा यही पाठ पढ़ाते हैं कि थाने अथवा चौकी आए हुए। पीड़ित एवं फरियादियों के साथ हमेशा सहयोग जनक व्यवहार करते हुए आवश्यकता अनुसार उनका सहयोग करें। किसी को किसी भी प्रकार से प्रताड़ित न करें। लेकिन कुछ ऐसे भी पुलिसकर्मी उत्तर प्रदेश में है, जो की डीजीपी साहब के सिद्धांतों को ताख में रखते हैं। सिर्फ अपनी जेब को भरने को महत्व देते हैं।
ऐसा ही एक मामला राजधानी लखनऊ से प्रकाश में आया है। जिसमें एक पुलिसकर्मी को एंटी करप्शन टीम ने घूस लेते गिरफ्तार किया।
मामला कुछ इस प्रकार है कि महानगर की पेपर मिल कॉलोनी चौकी इंचार्ज धनंजय सिंह का रिश्वत लेते हुए बृहस्पतिवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वीडियो में दरोगा धनंजय सिंह नोटों की गड्डी लेकर फाइल में रखता नजर आया है। वहीं, आरोपी दरोगा रिश्वत लेकर सामूहिक दुष्कर्म के मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाने की तैयारी में था।
सूत्र बताते हैं कि दरोगा ने मामले में एक आरोपी रियाज का नाम हटाते हुए सामूहिक दुष्कर्म की भी धारा हटा दी थी। यह बात सामने आने पर एसीपी महानगर ने जांच शुरू कर दी थी। एसीपी ने एंटी करप्शन की कार्रवाई से पहले ही चौकी इंचार्ज के खिलाफ पुलिस कमिश्नर दफ्तर को रिपोर्ट भेज दी थी।
एसीपी महानगर अंकित कुमार ने बताया कि एक युवती ने कोचिंग संचालक प्रतीक गुप्ता और उसके साथी रियाज के खिलाफ सितंबर में महानगर थाने में सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था।
केस की विवेचना चौकी इंचार्ज पेपर मिल दरोगा धनंजय सिंह को दी गई थी। धनंजय सिंह ने 11 सितंबर को आरोपी प्रतीक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। बाद में दरोगा ने खेल शुरू किया। उसने सामूहिक दुष्कर्म की धारा हटाते हुए नामजद आरोपी रियाज का नाम केस से हटा दिया।
सूत्र बताते हैं कि इसके लिए भी दरोगा धनंजय ने रियाज से कुछ रुपये लिए थे। इसके बाद प्रतीक के खिलाफ शादी का झांसा देकर दुष्कर्म की धारा लगाई। इस बीच प्रतीक को 16 अक्तूबर को जमानत मिल गई।
50 लाख रुपये मांगे थे
बृहस्पतिवार को कोचिंग संचालक प्रतीक गुप्ता का एक वीडियो सामने आया। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें झूठे केस में फंसाया गया था। नामजद आरोपी रियाज को वह जानते ही नहीं हैं। उन्होंने दरोगा धनंजय सिंह पर आरोप लगाया कि वह शुरू से 50 लाख रुपये की मांग कर रहा था। दरोगा ने वादा किया था कि वह पीड़ित का बयान बदलवाकर केस में फाइल रिपोर्ट लगा देगा। वहीं बृहस्पतिवार को चौकी के अंदर दरोगा धनंजय सिंह का प्रतीक से दो लाख रुपये रिश्वत लेते हुए 1.12 मिनट का एक वीडियो भी सामने आया। वीडियो में दरोगा व प्रतीक के अलावा एक अन्य व्यक्ति भी चौकी में बैठा दिखा। दरोगा की टेबल पर 500-500 रुपये के नोट की गड्डी रखी गई तो उसने उसे फाइल के बीच दबाकर किनारे रख दिया। इससे एक बात स्पष्ट होती है कि धनंजय सिंह या धनंजय सिंह जैसे पुलिस कर्मियों को ना ही उच्च अधिकारियों का खौफ है और ना ही शासन का धनंजय सिंह जैसे कुछ पुलिस कर्मियों के कारण समस्त पुलिस महात्मा बदनाम हो रहा है। धनंजय सिंह द्वारा किए गए ऐसे कृत्य के कारण अच्छे पुलिस कर्मियों को भी अब शर्मा आने लगी है।
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