पीएमबी। पुलिस अधीक्षक कार्यालय की क्राइम ब्रांच (अनावरण एवं विवेचना शाखा) में तैनात इंस्पेक्टर को एंटी करप्शन टीम ने जमीन की धोखाधड़ी के मुकदमे में एक आरोपी को बचाने के नाम पर 50 हजार रुपये घूस लेते गिरफ्तार किया है। एसपी कार्यालय के पास से गिरफ्तार करने के बाद टीम ने दही थाना ले गई। मेडिकल कराने के बाद टीम उसे लेकर लखनऊ चली गई। एसपी ने इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया है।
कानपुर के बेनाझाबर कॉलोनी निवासी असलम ने 28 मई को सदर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि साल 2004 में उसने शेखपुर के हाजी अब्दुल सलाम से एक प्लाॅट खरीदा था। जिसमें चारदीवारी और गेट लगा हुआ था। हिस्ट्रीशीटर ख्वाजगीपुर करोवन निवासी फहद और उसके साथ के भूपेंद्र, गौरव सिंह, गौरव शुक्ला, ताबिश और पीतांबर नगर मोहल्ला के सचिन विमल ने फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करा उसके प्लाॅट पर कब्जा कर लिया। गेट का ताला तोड़कर अपना ताला भी बंद कर दिया। सदर कोतवाली में तहरीर देने के बाद भी कोई कार्रवाई नही हुई। 30 मार्च को आरोपी प्लाट पर आए और रखवाली कर रहे युवक के साथ मारपीट की थी और उस पर गोली भी चलाई । तहरीर के आधार पर पुलिस ने सभी के खिलाफ मारपीट, जान से मारने का प्रयास, धमकी देने सहित अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की थी। इसकी विवेचना अनावरण एवं अपराध शाखा में तैनात इंस्पेक्टर हीरा सिंह कर रहे थे। घटना में नामजद पीतांबर नगर मोहल्ला निवासी सचिन विमल का विवेचना के दौरान मुकदमे से नाम हटाने के नाम पर इंस्पेक्टर ने 50 हजार रुपये रिश्वत मांगी थी। वह पहले भी आरोपी से कई बार रुपये ले चुके थे। इंस्पेक्टर की वसूली से परेशान सचिन ने इनकी शिकायत एंटी करप्शन में की थी। एंटी करप्शन टीम के इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार और संध्या सिंह 12 सदस्यीय टीम के साथ शनिवार को दोपहर करीब 12 बजे पुलिस लाइन क्लब पहुंचे। वहां सचिन के हाथों इंस्पेक्टर को रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार करने के बाद टीम उन्हें दही थाना लाई। वहां लिखा पढ़ी करने के बाद डॉक्टरी के लिए जिला अस्पताल और फिर शाम को लखनऊ लेकर चली गई। बताया जाता है कि इंस्पेक्टर ने फोन पर रिश्वत मांगी थी, जिसकी रिकॉर्डिंग टीम के सदस्यों के पास थी। टीम के सदस्यों के मुताबिक, दो लाख रुपये की मांग की गई थी। जिसमें 50 हजार रुपये पहली किस्त के रूप में दिए जा रहे थे। गिरफ्तारी के बाद इंस्पेक्टर हीरा सिंह ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने केवल जांच प्रक्रिया के तहत कुछ दस्तावेजों की मांग की थी। एंटी करप्शन टीम ने उनके खिलाफ गलत आरोप लगाए हैं। इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी के बाद महकमे में हड़कंप मच गया है। लोगों में चर्चा है कि यह केवल एक ही इंस्पेक्टर नहीं बल्कि थानों में कई ऐसे दारोगा व इंस्पेक्टर है जो बगैर पैसे के काम ही नहीं करते हैं।
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